दोनों ही की तो दौलत नमकीन पानी है
तू जब भी मिलेगी , हम इस्तेकबाल करेंगे
ये उम्र का आना और जाना तो फानी है
खारिज यूं न कर, तू कैस ओ फरहाद को
मुझे ही तो ज़माने को ये दास्तां सुनानी है
तेरे साथ जो जोड़ ली है आरजू एक मेरी
यकीन मान वो मेरी चाह, फ़क़त रूमानी है
एक-एक तेरा तसव्वुर, हरेक मय का कतरा
जा नहीं सकती है ये ये आदत पुरानी है
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अर्थ
मौजे-समंदर---------समुद्र की लहर
दौलत नमकीन पानी- समुद्र का पानी और आंसू, दोनों नमकीन हो कर हमारे दर्द को बाँट लेंगे
इस्तेक़बाल- स्वागत
कैज ओ फरहाद- मजनू और फरहाद
thankx for comments but you kavita is nice i like it
जवाब देंहटाएंaloka