तेरे नाम का इक फूल मंदिर में छोड़ आया हूँ
कुछ यूं गुनाहे-चाहत मालिक से जोड़ आया हूँ
तेरे नाम का इक आंसू सेहरा में छोड़ आया हूँ
कुछ यूं वहां हरियाली का आगाज़ जोड़ आया हूँ
तेरे नाम का इक शोला दरिया में छोड़ आया हूँ
कुछ यूं लहरों का नाता सरदी से तोड़ आया हूँ
तेरे नाम का इक संग आईने पे छोड़ आया हूँ
कुछ यूं दोनों खामोशों को जुम्बिश से जोड़ आया हूँ
तेरे नाम का इक ख़त बगीचे में छोड़ आया हूँ
कुछ यूं वहां बुलबुलों का पैगाम छोड़ आया हूँ
vaah!! kya baat hai...
जवाब देंहटाएंtere nam ....bahut umda...
जवाब देंहटाएंshandar bhai sab..
जवाब देंहटाएंachhaa kahaa hai..
जवाब देंहटाएंbahut achhaa !!
इक आंसू सेहरा में छोड़ आया हूँ
जवाब देंहटाएंकुछ यूं वहां हरियाली का आगाज़ जोड़ आया हूँ
वाह !! सहरा में हरियाली का आगाज़ आँसू से... बेहद ख़ूबसूरत ख़याल... बहुत दिनों के बाद आपकी नयी रचना पढ़ने को मिली...