मैं रत्नाकर
रविवार, मई 29, 2011
इक और ख्याल
खौफ-ए-रुसवाई से दहलीज पे ठिठके हैं अश्क
जल्द आ ए सावन और सरापा भिगो दे मुझ को
2 टिप्पणियां:
बेनामी
6/03/2011 11:47 pm
खौफ-ए-रुसवाई से दहलीज पे ठिठके हैं अश्क
Beautiful !
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Richa P Madhwani
6/11/2011 8:55 am
nice...
http://shayaridays.blogspot.com
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खौफ-ए-रुसवाई से दहलीज पे ठिठके हैं अश्क
जवाब देंहटाएंBeautiful !
nice...
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com