मित्रों बीती रात नेट पर सर्फिंग करते हुए अरुणाचल प्रदेश के दृश्य देखे...नाथुला दर्रा की इमेज देखते समय वहां लगे शहीद स्मारक की पंक्तियाँ पढ़ीं....उन में ऐसे भाव छिपा था कि रात भर सो नहीं सका वोही पंक्तियाँ आप से शेयर करना चाहता हूँ
' जब आप घर जायें
उन्हें हमारे बारे में ज़रूर कहना
आपके कल के लिये
हमने अपना आज दिया है '
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पता नहीं आप को ये पंक्ति पढ़ कर कैसा लगे..लेकिन इस ने मुझे तो भीतर तक झकझोर दिया है... हमारी खातिर देश की सरहद पर जान दे देने वाले शहीद धन्य हैं.......लेकिन शायद ही किसी को उनकी परवाह हो... सरहद पर खून जमा देने वाली सर्दी या झुलसा देने वाली रेगिस्तानी गर्मी के बीच दुश्मन की गोलियों और कुटिलता से जूझते सिपाही के क़र्ज़ से हम कभी भी मुक्त नहीं हो सकते हैं... ये बात और है कि किसी मशहूर क्रिकेटर की नसों में खिंचाव या किसी कवि ह्रदय पोलिटिशियन के घुटने का ओपरेशन हमें कई कई दिन तक के लिये परेशां कर जाता है और किसी फ़ौजी की शहादत की खबर से हमारे कान पर जूं तक नहीं रेंगती है....खैर इस देश के हर इक सिपाही के नाम श्रद्धा स्वरुप अपनी ये पंक्ति उन्हें समर्पित कर रहा हूँ
लिहाफ को ओढ़ के
लद्दाख के फ़ौजी की याद
भिगो देती है आँखें
: http://hastakshep.com/?p=9665
जवाब देंहटाएंread this article "क्या हम नायक विहीन दौर में जी रहे हैं ?''in hastakshep .com on 19th june
जवाब देंहटाएंयही कडुवा सत्य है हमारे इस तथाकथित सभ्य समाज का जिनको सम्मान देना चाहिए उनको भुला देना और नेताओं के तलुए चाटना ....
जवाब देंहटाएंthanks for nice comments.
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