इक आस का बहता पसीना किसने देखा है
इक अश्क में डूबा सफीना किसने देखा है
वस्ल के वो बरसों बरस तो याद हैं लेकिन
वो हिज्र का तनहा महीना किसने देखा है
दामन बचा गए सब तंगहाली से मेरी
दिल में छिपा इक दफीना किसने देखा है
बे-हिजाब दीदार हुआ जब रु ब रु तेरा
ता-उम्र फिर कोई नगीना किसने देखा है
दरअसल मुद्दा तो इक यकीं भर का है
फिर राम हो या हो रहीमा किसने देखा है
यूँ तो सभी शेर नायब हैं.. फिर भी अपुन को तो ये बहुत पसंद आये....
जवाब देंहटाएंदामन बचा गए सब तंगहाली से मेरी
दिल में छिपा इक दफीना किसने देखा है
बे-हिजाब दीदार हुआ जब रु ब रु तेरा
ता-उम्र फिर कोई नगीना किसने देखा है