तेरी छत पे टिका ख्वाब जब थक के सो गया
शब् भर रहा ये शोर कहाँ चांद खो गया
मुमकिन है मिल जाये फिर कब्र में क़ज़ा
जो लुत्फ़-ए-वस्ल उस से यादों में खो गया
आरजू के सहरा में जब-जब भी गिरे अश्क
चाह के बीज वहां कोई दीवाना बो गया
खिलवत में जब भी हुआ सुकून का अहेसास
तब कोई बेनिशां आया ओ मुझ पे रो गया
मौके तो इज़हार के थे कम नहीं मगर
हर दफा मैं जाने क्यूं बस बुत सा हो गया
Namskar
जवाब देंहटाएंaap ney tippani ki kranti4people.com per thanks.
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तेरी छत पे टिका ख्वाब जब थक के सो गया
जवाब देंहटाएंशब् भर रहा ये शोर कहाँ चांद खो गया
आरजू के सहरा में जब-जब भी गिरे अश्क
चाह के बीज वहां कोई दीवाना बो गया
bahut badhiya sir... wah!
.बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका रत्नाकर साहब !