एक कतरा जहर का तो मेरे नाम का होगा
तू दानिशमंद मेरे भी किसी काम का होगा
किसी शब् के एक तंगदिल ख्वाब की तरह
चंद बूंदों सा ही चेहरा मेरे जाम का होगा
जो कुछ बचा है उसकी नीलामी तो क्या करूं
ज़मीर का इस दौर में भला दाम क्या होगा
उस पूनम पर गिरता है जो चाँद से अमृत
मेरी किस्मत नहीं, वो तो तेरे बाम का होगा
तुम करते सियासत मगर ये सोच तो लेते
किस क़दर ज़ख़्मी दिल मेरे राम का होगा
रत्नाकर त्रिपाठी
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