सोमवार, अक्तूबर 15, 2012

आरोप और विवादों से घिरे सलमान खुर्शीद इस समय बौखालट में और क्या कर सकते हैं, मैंने इसकी कल्पना की है 
खुर्शीद का ख़त फिल्म स्टार सलमान के नाम 
प्रिय सल्लू भाई, "हेल्लो ब्रदर "आप कितने अच्छे इंसान हो, इसलिए कि आपका नाम भी 'एस' अक्षर से शुरू होता है और मेरा भी इसी अक्षर से शुरू होता है। मेरी ही तरह आपका सरनेम भी 'के' से ही शुरू होता है। यकीन कीजिये इन शब्दों से शुरू होने वाले नाम और सरनेम बेहद भले लोगों के होते हैं। हम दोनों किसी "जुड़वाँ " या "करण -अर्जुन " की तरह "हीरोज " हैं, आप बड़े परदे पर छाये हुए हो और मेरा चर्चा छोटे परदे पर है,  लेकिन फिलहाल मैं मुसीबत में हूँ और भरे मन से आपको ख़त लिख रहा हूँ। मैंने क्या गलत किया। एक ट्रस्ट बनाकर "चोरी-चोरी, चुपके-चुपके " कुछ गड़बड़ ही तो की तो क्या इतनी सी बात पर मैं "कुर्बान " कर दिया जाऊँगा ? अरे मेरी तो "बीवी नम्बर वन" इस ट्रस्ट के ज़रिये इतनी "खामोशी" के साथ काम कर रही थी कि  लोगों को उस पर "गर्व " होना चाहिए था। मगर क्या कहें इस केजरीवाल ने आज तक के साथ मिलकर "नो एंट्री" जोन में प्रवेश किया और मुझ सरीखे कांग्रेस के "युवराज" को किसी अपराधी की तरह "वांटेड" बना दिया।  मैंने सोचा था कि  मेरी "जानेमन" कांग्रेस पार्टी के मेरे "पार्टनर" संकट में मेरे साथ होंगे मगर वो तो मुझे यूं देखते हैं मानो मुझ से पूछ रहे हों "हम आप के हैं कौन? " आप ही बताओ मेरी बीवी की क्या गलती है? मैंने ही तो उससे कभी पूछा था कि "मुझसे शादी करोगी" अब जब शादी हो ही गयी तो क्या संकट के इन पलों में मैं ये कहूं कि "शादी करके फँस गया यार" कांग्रेस में तो कोई "बाबुल " नज़र नहीं आता जो मुझे बचा ले, उस पर मीडिया वाले और केजरीवाल मेरे सपने में आकर "फिर मिलेंगे" की धमकी देकर डरा जाते हैं। जबकि इससे पहले तक मैं "लन्दन ड्रीम्स" में डूबा रहता था और "इश्क इन पेरिस " के भी सपने देखता था । अब तो इतना परेशान हूँ कि कभी कभी मन होता है कि ऊपर वाले से पूछूं कि "गॉड तुस्सी ग्रेट हो " इसलिए "टेल मी ओ खुदा" मेरी पार्टी ने मेरे साथ "ये दूरियां " क्यों बना ली हैं? सब "संगदिल सनम" हैं "पत्थर के फूल "  जैसे नक़ली हैं। "क्यों कि "मैंने इस पार्टी से दिल से "लव" किया है पार्टी कहे तो मैं किसी भी जाँच के लिए "रेडी" हूँ, लेकिन वहाँ से कोई तो मुझे आश्वासन दे कि "हम साथ- साथ हैं " आप तो जानते हो कि "जब प्यार किसी से होता है " तो वो किसी "बंधन " की तरह होता है और है और हम किसी "वीर " की तरह कह सकते हैं कि "प्यार किया तो डरना क्या " मैंने भी कांग्रेस से प्यार किया है ये पार्टी तो मेरे लिए "चाँद का टुकड़ा " है, मेरी "चंद्रमुखी" है। फिर क्यों ये पार्टी मुझे "मझधार " में छोड़ने जैसी मुद्रा में नज़र आ रही है? सल्लू भाई हर किसी के काम का "अंदाज़ अपना-अपना " होता है मेरे ट्रस्ट ने एक "निश्चय " के साथ "कुछ-कुछ होता है " की तर्ज़ पर बहुत कुछ किया। "मैं और मिसेस खन्ना " की तरह मैं और मेरी पत्नी ट्रस्ट चलाते रहे। मैं अपनी पत्नी का "साजन " हूँ उसका "सांवरिया " हूँ, अब यदि पत्नी मोह में मैं ट्रस्ट में कुछ गलत कर बैठा तो क्या "वीरगति " को प्राप्त हो जाऊं या ये कह कर सर धुनूं कि "मैंने प्यार क्यों किया " हमने तो ट्रस्ट के पैसे को "दिल ने जिसे अपना कहा " की तर्ज़ पर इस्तेमाल किया  तो क्या गलत किया? अरे, हमारी शान देख कर समर्थक कहा करते थे "ये है जलवा " अब हालात अलग हैं। भाई, चाहूं तो मैं भी "बागी " हो जाऊं किसी "सूर्यवंशी " की तरह डंके की चोट पर "दबंग " अंदाज़ में एलान कर दूं कि "दुल्हन हम ले जायेंगे " लेकिन ऐसा करना नहीं चाहता हूँ। कांग्रेस से तो "मैंने प्यार किया " उससे कहा "दिल तेरा आशिक "  लेकिन भाई "सिर्फ तुम " समझ सकते हो कि मुझे इसका क्या सिला मिला। मैंने पार्टी के नेताओं को अपनी बात समझानी चाही कहा "जानम समझा करो " लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। अब मैं इस बात को मानने लगा हूँ कि :"हर दिल जो प्यार करेगा  " उसे कोई "बागबान " नहीं मिलेगा। मैं ये नहीं कहता कि तुम किसी "बॉडीगार्ड " की तरह मेरी मदद करो लेकिन मेरी बात तो सुन ही सकते हो। "चल मेरे भाई" ख़त लम्बा हो रहा है, हाँ, आजकल खाली हूँ और ट्रस्ट का पैसा मिलना बंद हो गया है न फिल्म देख पा रहा हूँ न ठीक से खाना नसीब हो रहा है हो सके तो "एक था टाइगर " की डीवीडी भेज देना और संभव हो तो काले हिरन का गोश्त भी साथ भेज देना। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और मेरा यह ही मानना है कि हम "तुमको न भूल पाएंगे". रही बात मेरी तो मैं मुझे "दुश्मन दुनिया का " प्रोजेक्ट करने वालों को समय आने पर जवाब दूंगा कि वो किस कदर "फालतू ' बातें करते हैं, घर में सबको मेरा "हेलो' कहना  
तुम्हारा 
सल्लू (सीनियर )

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