सोमवार, अप्रैल 19, 2010

मेरे सनम

मुझसे मत यूं रूठ सनम

कि मुझ से गुनाहगार ने
टुकड़ों में किए सबाब
हासिल की कुछ दुआएं
और अल्लाह से मिली नेमत,
इन सब का बना कर मंदिर
उसमें बस तुझे पूजा है
जो तू नहीं
तो वीरान हो जाएगा यह मंदिर

तेरा अहेतराम किया है मैंने
तू कबूल ले इल्तेजा मेरी

मुझ से मत यूं रूठ सनम

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