मुझसे मत यूं रूठ सनम
कि मुझ से गुनाहगार ने
टुकड़ों में किए सबाब
हासिल की कुछ दुआएं
और अल्लाह से मिली नेमत,
इन सब का बना कर मंदिर
उसमें बस तुझे पूजा है
जो तू नहीं
तो वीरान हो जाएगा यह मंदिर
तेरा अहेतराम किया है मैंने
तू कबूल ले इल्तेजा मेरी
मुझ से मत यूं रूठ सनम
acha prayas he aap ka
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
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