अलग-अलग हालत और मूड में मेरे दिमाग में जो आता था वोह लिख कर रख लिया था, आज वोह सब दोबारा लिख कर यूं लग रहा है मानो तिनके समेट रहा हूँ।
इम्तियाज़ नहीं तेरे सितम, मेरी ज़ब्त में
तू हम पे, हम तुझ पे मुस्कुराये जाते हैं
००००००००००००००००००००००००००००००
लडखडाता न जायेगा रिंद तेरे दर से
मयकदा में ऐसा कुछ हो गया है साकी
मय का नशा तो बरक़रार है लेकिन
सुना है तेरा हुस्न अब ढलने लगा है साकी
00000000000000000000000000000
पता नहीं है किसका इंतज़ार ज़िन्दगी को
बस जानता हूँ इतना, कोई आने वाला है
000000000000000000000000000
कभी जो मिली ज़िन्दगी तो पूछूंगा ज़रूर
कैसे हैं वोह, जिनके हाथों सौंप आया था तुझे
00000000000000000000000000000
आसान नहीं है साथ यूं किसी का पा सकना
अपना साया तक धूप में जल कर मिला हमें
0000000000000000000000000000000
कोई पाक दामन नहीं, वोह मेरा कफ़न था नादां
जिसको छू की थी दुआ तुमने मेरे जीने की
00000000000000000000000000000000
http://www.blogger.com/post-create.g?blogID=4661467735689100513
Great Dear
जवाब देंहटाएं