शनिवार, अप्रैल 24, 2010

याद है रेनू?---------------------कविता

पहली बार इस शैली की कविता लिख रहा हूँ, शायद किसी को पसंद आ जाए


गरमी की छुट्टी की

वोह दोपहर याद है रेनू ?

जब लिए रिजल्ट हम

साथ लौट रहे थे घर को

स्कार्फ और फ्रोक में तुम

और निक्कर-कमीज़ में था मैं

तुम्हारे पास से आती तेल और पावडर की खुशबू

कितना अपना और पहचाना सा था सब कुछ


फिर सफ़र हुआ ख़तम

हम अपने-अपने घर को चल पड़े

फिर,

अपना-अपना नया स्कूल

अपना-अपना कोर्स

अपना-अपना दायरा

अपना-अपना भविष्य

फिर,

अपना-अपना कोई और................................


यकीन मानो, वोह निक्कर-कमीज़ वाला 'मैं'

आज भी सफ़र के खात्मे पर खड़ा हूँ


गरमी की छुट्टी की

वोह दोपहर याद है रेनू ?

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