बुधवार, मई 19, 2010

गम की बारात

काफी देर से दिमाग में आ रही बातों को मैंने निम्न लिखित शक्ल दी है, कृपया गौर करें
धन्यवाद
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आंख का आंसू और न छालों का पानी निकले
येह ज़ब्त की दौलत सफ़र में काम आएगी

बहुत किया इंतज़ार किसी खास के आ जाने का
अब तो इस मंडप में गम की बारात आएगी

मालूम है कि मैं नहीं हूँ गुनाहगार, लेकिन
हरेक उंगली मेरी ही ऑर मुड़ जाएगी

जिस रोज़ किया था तूने मिलने का वादा
न पता था, उसी रोज़ रुत बदल जाएगी

जिस वक़्त उड़े फिरे थे आसमान में हम
क्या पता था कि वो डोर ही कट जाएगी

तुझसे कुछ कहने की तो थी सारी तैयारी
सोचा भी न था, ज़ुबान ही कट जाएगी

येह जान कर ही किया दिल का सौदा मैंने
एक रोज़ तू किसी और की हो जाएगी

मत बोलो, दीवानों से कि न जागो हर शब्
जवानी की है आदत, जाते-जाते जाएगी

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