शुक्रवार, मई 21, 2010

क्यूं सावन आया है

अपनी एक और रचना पेश कर रहा हूँ, कृपया गौर फरमाइए

खुद पर आज हंसने का ख्याल आया है
जब येह सुना कि तूने हमें बुलाया है

हम तो आस छोड़, थे कर चुके हिसाब
कि ज़िंदगी से क्या मिला, क्या गवाया है

तोड़ चुकी दम सियाही जिन खतों की
उन खतों पे क्यूं आज सावन सा आया है

मायूसे-इश्क आँख न लगे आज शब्
आँख में इंतज़ार का लम्हा सजाया है

हमारा हो ख्याल कहीं, भूल चुके हम
"ठीक तो हो" का आज क्यूं पैगाम आया है

सच कहूं कि जब-जब भुलाया तुझको
उतनी दफा लबों पे तेरा नाम आया है

ऐ दो जहां के मालिक, लौटा दे गुज़रे पल
जवानी में चूका, आज वोह सलाम आया है

4 टिप्‍पणियां:

  1. ऐ दो जहां के मालिक, लौटा दे गुज़रे पल
    जवानी में चूका, आज वोह सलाम आया है

    हा हा हा

    बहुत बढ़िया लिखा है

    मगर अभी तो माशाल्लाह आप जवान दिखते हैं (फोटो में)

    फोटो कहीं जवानी वाली तो नहीं लगा रखी ?
    हा हा हा

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  2. काश आपने अपने बारे में हिंदी मे लिखा होता

    आज इंग्लिश ना जानने का अफ़सोस हो रहा है

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  3. अरे साहब अपने ब्लॉग पर फालोवर का लिंक तो लगाईये

    आपको फालो करे बिना कोई आपको नियमित कैसे पढेगा

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  4. आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

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