गुरुवार, अगस्त 19, 2010

प्याले में तूफ़ान

देर रात चाय का प्याला देख कर किसी याद में डूब गया, और कुछ लिख दिया
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चाय के कतरों पे तेरी तस्वीर उतारी है
यूं प्याले में तूफान उठाने की तैयारी है

भाप देखूं तो आये है याद तेरी अंगडाई
और मिठास पे तेरी शख्सियत तारी है

ये भी थाम देती है आती हुई नींद के पाँव
और तेरा ज़िक्र ही मेरी नींदों पे भारी है

हर सुबह बरास्ते लब वो लाए है ताज़गी
तेरे-मेरे लबों में भी ऐसा ही कुछ जारी है

हरेक ऊफान पे उसका रंग चढ़ता जाता है
तेरी उम्र ओ हुस्न की भी ऐसी ही तो यारी है

10 टिप्‍पणियां:

  1. ये भी थाम देती है आती हुई नींद के पाँव
    और तेरा ज़िक्र ही मेरी नींदों पे भारी है
    Sunar
    Bas Chay ka pyala dekh hi aisi rachana ghad di aapane ....kya baat hai
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  2. ये भी थाम देती है आती हुई नींद के पाँव
    और तेरा ज़िक्र ही मेरी नींदों पे भारी है

    वाह बहुत गहरी बात कही है आपने.
    पूरी की पूरी गज़ल उम्दा है.

    शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने का जिससे आप तक पहुचने का मार्ग मिला.

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  3. ये भी थाम देती है आती हुई नींद के पाँव
    और तेरा ज़िक्र ही मेरी नींदों पे भारी है बह्त ही अच्छे भाव है आपके …॥मेरे ब्लोग तक आने केलिये शुक्रिया।

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. बड़ा ही दिलकश है ये अंदाज़े बयाँ..
    पढ़ने में भी इक अजब ख़ुमारी है ..

    खूबसूरत अहसास से तारी हैं हर अशआर...
    शुक्रिया..

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  6. चाय के कतरों पे तेरी तस्वीर उतारी है..
    Vah kia baat kahee....
    Chai ke katre bhee kisi ka chehra bna sakte hai.

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  7. चाय के कतरों पे तेरी तस्वीर उतारी है
    जाने क्यों मेरी रगों में तेरी खुमारी है

    .....................बहुत खूब रत्नाकर जी धन्यवाद् ,,, सुन्दर रचना के लिए |

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  8. चाय के कतरों पे तेरी तस्वीर उतारी है
    यूं प्याले में तूफान उठाने की तैयारी है
    bahut hee khoobsurat rachna

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  9. wah...wah...wah...चाय के कतरों पे तेरी तस्वीर उतारी है
    यूं प्याले में तूफान उठाने की तैयारी है.

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  10. Tripathi ji,sach me chai ke bina to apni jindagi adhuri hai.aur aapne sundar tarike se chai ke sath apne vichar piroye hai.abhinandan.aap ka dost manish.

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