मंगलवार, अप्रैल 02, 2013

मैंने एक कल्पना की है, कृपया देखिये

दिल्ली में सामूहिक ज्यादती के बाद लम्बे समय तक खामोश रहे प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह टीवी पर नज़र आये थे, उन्होंने इस मामले पर लिखा हुआ सन्देश पढ़ा और सन्देश ख़त्म होते ही कैमरामैन से पूछ लिया था "ठीक है" इस पर ही मैंने ये व्यंग्य लिखा है 



ये टुम क्या बोल डिया कैमरा के सामने? 
भैन जी गलती हो गयी। ओ जी, मैं तो कैमरामैन से पूछ रहा था कि "क्या देश में सब ठीक है?" 
देश के बारे में कैमरामैन से पूछ रहे ठे !!! शेमफुल है ये टो, क्या आप को नहीं पटा कि यहाँ अपनी सरकार है, फिर देश का हाल पूछने के क्वेशचन में टुम "ठीक" वर्ड का इस्टेमाल करने की हिम्मत कैसे कर गए? 
जी, मुझे लगा कि कुछ तो ठीक होगा ही
इसका मीनिंग है कि आपको आप की सरकार के अचीवमेंट के बारे में ही नहीं मालूम है। अरे! बाबा से पूछ लेते, वो ही सब बता देते आपको, आप को पता नहीं है क्या उनके नॉलेज के बारे में?
जी गलती हो गयी, अब बाबा से ही पूछूंगा।
अभी नहीं, बाबा अभी टेंशन में हैं
जी मैं समझ सकता हूँ, ये रेप वाला मामला किसी को भी टेंशन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उफ़! वो बलात्कार होने से नहीं बल्कि गुजरात में चमत्कार न होने से परेशान हैं, न जाने आप कब समझदार होंगे,,,,,,,अच्छा ये रेपिस्ट को फांसी वाले मामले पर क्या सोचा है?
आने दीजिये संसद में,,,,हमारे कुछ पार्टी वाले और बाकी धर्म निरपेक्ष ताक़तें मिल कर सारा मामला चलता कर देंगे
अच्छा! वो कैसे?
देखिये मिस्टर सॉफ्ट ये कह देंगे कि केवल अल्पसंख्यक युवती से रेप के मामले में ही फांसी होनी चाहिए। काया देवी कह देंगी कि फांसी मत दो, बलात्कारी को हाथी के पाँव के नीचे दबवा दो। हमारे मध्य प्रदेश वाले मिस्टर ..विजय कह देंगे कि श्री कसाब को फांसी देने के बाद सरकार को नए जल्लाद नहीं मिल रहे हैं उनके लिए नौकरी के विज्ञापन देंगे जिसमें केवल हिन्दुओं को ही रखा जायेगा क्योंकि वो ही आतंकवादी होते हैं। इसके बाद अन्जय इरूपम कह देंगे कि बीजेपी के इरानी चेहरे ही ठुमके लगा-लगा कर बलात्कार के लिए उकसाते हैं। वेणी परसाद कह देंगे कि पता लगाया जाये कि बलात्कारी मज़ा ले रहा था या उसने देश में अभी तक समाजवाद ना आने से दुखी होकर ये क़दम उठा लिया? हमारे घर के मंत्री कह देंगे कि मिस्टर बलात्कारी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी, फांसी-वांसी का बाद में सोचा जायेगा। आलू यादव कह देंगे कि फांसी की सज़ा देने की जगह हर बलात्कारी का नाम नितीश कुमार कर दिया जाये। इस से बड़ी सज़ा और कुछ नहीं हो सकती है। बस फिर क्या है, मामला उलझ जायेगा
फिर?
फिर क्या है? हम कह देंगे कि एकमत का अभाव है, सरकार क्या करे? अब तो बलात्कारी ही कुछ कर सकते हैं। सही कहा ना मैंने?
अरे! फिर से मतलब ये कि आप क्या बोलेंगे?
मैं! आप भी ग़ज़ब कर रही हैं? क्या आप इस डिबेट में शामिल नहीं होंगी?
क्यों नहीं होंगे? इस सवाल का क्या मतलब है?
अरे! जब आप वहाँ रहेंगी तो मेरी क्या मजाल है कि कुछ बोल दूं! आज तक ऐसा हुआ है क्या? आखिर पार्टी की रीति-नीति भी कोई चीज होती है।
वाह! समझदार हो गए हो आप
जी! आप तारीफ कर शर्मिंदा कर रही हैं। अब चलता हूँ, मेरा मौनी बाबा के साथ अपॉइंटमेंट है। नमस्ते

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