अपनी एक और रचना सादर पेश कर रहा हूँ, कृपया गौर करें
हादसों के साथ-साथ बहते चले गए
दर्दे-दिल, दिल ही से कहते चले गए
जहाँ भी मिली छाओं, वोहीं छोड़ के जिस्म
प्यास लिए नज्द को चलते चले गए
ख्वाबों का आशियाँ तो फिर ना ही बन सका
ख्वाबों के खँडहर ही में रहते चले गए
खुशी का लफ्ज़ याद से कब का जा चुका
बस हाय दिल, हाय जां कहते चले गए
आस्मां के सिम्त, कूच करते वोह अपने
क्यों तोहफे में बेड़ियाँ देते चले गए
तेरे नाम का गुलाब, हाथों में लिए हम
ज़ख्मों से रिसता खून सहते चले गए
अब न और याद आ, न अब और याद आ
कह-कह के तुझे याद करते चले गए
______________________________
अर्थ
नज्द- वोह रेगिस्तान जहाँ मजनू ने दम तोडा था
छाओं- छाया
आशियाँ- घर
लफ्ज़- शब्द
आस्मां के सिम्त कूच- आसमान की और रवाना होना
waah lajawaab...badhiya
जवाब देंहटाएंखुशी का लफ्ज़ याद से कब का जा चुका
जवाब देंहटाएंबस हाय दिल, हाय जां कहते चले गए
अब न और याद आ, न अब और याद आ
कह-कह के तुझे याद करते चले गए
वाह...
ऐसी बेकरारी .. सुभानल्लाह
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बेहतरीन कहन
देख लीजिए आपको खोज ही लिया :)
और अब आपको गुम नहीं होने देंगे
बुकमार्क :)