कृपया मेरी एक और रचना पर गौर करें
जन्नत मिलने का इंतज़ार अभी बाकी है
तेरे वादे पे ऐतबार अभी बाकी है
उम्र भर नींद ली पलकों को बिन गिराए
तेरे दीदार का करार अभी बाकी है
हलक में फंसी हिचकी भी हो जाए आज़ाद
ज़िन्दगी का येही कार अभी बाकी है
तू भी बन अपना, खंजर से कर दे वार
तकदीर की कुछ मार अभी बाकी है
दूरी में खो गए हमारे तमाम निशाँ मगर
खुश हूँ, यादों का तार अभी बाकी है
सदियों से मिट रहा नदियों का शीरीं आब
समंदर में क्यों खार अभी बाकी है
मिट गया है मेरी हरेक आरजू का वजूद
फिर भी दिले-बेक़रार अभी बाकी है
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अर्थ
करार- अनुबंध, एग्रीमेंट
हलक- गला
कार- काम
शीरी आब- मीठा पानी
खार- खारापन
वजूद- अस्तित्व
सदियों से मिट रहा नदियों का शीरीं आब
जवाब देंहटाएंसमंदर में क्यों खार अभी बाकी है
बढ़िया प्रश्न है
सुन्दर भाव है
दूरी में खो गए हमारे तमाम निशाँ मगर
जवाब देंहटाएंखुश हूँ, यादों का तार अभी बाकी है
सदियों से मिट रहा नदियों का शीरीं आब
समंदर में क्यों खार अभी बाकी है
बहुत खूब कहा