मेरी एक नई रचना सादर पेश है
==================================
एक मुद्दत से तुम्हारी आंख को तरसे हैं ये
ख़त के इन शब्दों को तुम प्यार देना
तुम्हारे लिए सही है कलम की कैद इन ने
बस इन पे तुम थोड़ी मुस्कान वार देना
ज़माने की बुरी नज़र से इनको बचाना है
आँख का काजल तुम इनको उधार देना
आँख से पहले जो चूम लें तुम्हारे आरिज़
हल्की सी इन को एक चपत मार देना
सिर्फ तुम्हारी खातिर मिला हैं इन्हें वजूद
यह हिदायत इन को तुम बार-बार देना
कहीं दूर गहरी नींद में मुस्कुरा उठूँगा मैं
बस पास सुला के इन्हें तुम दुलार देना
waah bahut sundar bhaav
जवाब देंहटाएंकहीं दूर गहरी नींद में मुस्कुरा उठूँगा मैं
जवाब देंहटाएंबस पास सुला के इन्हें तुम दुलार देना
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना....
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंप्रसंशनीय गजल।
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत से तुम्हारी आंख को तरसे हैं ये
जवाब देंहटाएंख़त के इन शब्दों को तुम प्यार देना.
कहीं दूर गहरी नींद में मुस्कुरा उठूँगा मैं
बस पास सुला के इन्हें तुम दुलार देना.
bhai wah!... kabil-e-tareef