यदि मैं जज होता तो इसे फैसले के रूप में लिखता और फिर कलम तोड़ देता। बात एक लाइन की है राज ठाकरे के बारे में कुछ भी लिखना बंद कर दीजिये, आप चाहें उसकी लाख बुराई कर लें लेकिन इससे उसका नाम ही चल रहा है, और यह ही वोह चाहता है। उसकी और ध्यान देना बंद कर दीजिये, देखिये वोह खुद ही चुप हो जाएगा। यह मैं उसके बारे में पहली और आख़िरी बार लिख रहा हूँ, भगवान् न करे की दोबारा कभी उसके बारे में लिख कर अपनी लेखनी को प्रदूषित करना पड़े।
सीधी मार कबीर की चित से दिया उतार
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