शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2010

तोड़ दें कलम

यदि मैं जज होता तो इसे फैसले के रूप में लिखता और फिर कलम तोड़ देता। बात एक लाइन की है राज ठाकरे के बारे में कुछ भी लिखना बंद कर दीजिये, आप चाहें उसकी लाख बुराई कर लें लेकिन इससे उसका नाम ही चल रहा है, और यह ही वोह चाहता है। उसकी और ध्यान देना बंद कर दीजिये, देखिये वोह खुद ही चुप हो जाएगा। यह मैं उसके बारे में पहली और आख़िरी बार लिख रहा हूँ, भगवान् न करे की दोबारा कभी उसके बारे में लिख कर अपनी लेखनी को प्रदूषित करना पड़े।

1 टिप्पणी: